देसी चूत Xxx स्टोरी में पढ़ें कि गर्लफ्रेंड से मिलकर उसकी चुदाई का पुराना ख्वाब फिर से जाग गया. उसने मुझे अपनी सहेली की शादी में बुलाया. वहां क्या हुआ?
नमस्कार दोस्तो, कैसे हैं आप लोग? मैं अपनी देसी गर्ल की चूत चुदाई की स्टोरी का चौथा भाग आपके लिए लाया हूं.
देसी चूत Xxx स्टोरी के पिछले भाग
गांव वाली गर्लफ्रेंड का जिस्म
में अब तक आपने पढ़ा कि कैसे मैंने नेहा के मोबाइल से उसकी दीदी कविता का नंबर निकाल लिया और अब मैसेज से हमारी बात होने लगी.
उस दिन थोड़ी बहुत और बात हुई. कविता ने मुझे अगले दिन उसकी सहेली के घर आने के लिए कह दिया. उसकी सहेली की शादी में मदद करने के लिए.
मैं मन ही मन उसका प्लान समझ रहा था.
ये सब बातें करने के बाद हम दोनों ने गुड नाइट बोला और सो गये.
उस दिन के बाद मुझे ये तो पता चल गया था कि नेहा की दीदी यानि मेरी कविता रंडी बहुत हरामी है और उसके दिमाग़ में भी यही सब चल रहा है.
अगले दिन मैं मदद करने उसकी सहेली के घर चला गया.
मैं बस कविता का ही इंतज़ार कर रहा था.
मैंने टीशर्ट पहना हुआ था और नीचे एक बरमूडा डाला था. मैंने नीचे से चड्डी भी नहीं डाली थी.
कुछ देर के बाद वो नहाकर आई. उसके बाल भीगे हुए थे जिनको उसने बिना दुपट्टे के ही गमछे में सूखने के लिए बाँध रखा था.
वो सफेद रंग की कमीज़ और हरे रंग की सलवार पहने हुए थी. कमीज की डोरी पीछे से ढीली बंधी थी.
उसकी कमीज का आगे वाला हिस्सा गीला हो गया था. मेरा तो लंड खड़ा होने लगा उसको इस रूप में देखकर!
फिर हम लोग काम में हाथ बंटाने लगे.
कविता मुझे ऊपर ले गयी. वहां पर कुछ सामान व्यवस्थित करना था.
हम दोनों साथ में काम करने लगे. मैं बार बार बहाने से उसके हाथ पर हाथ रख देता था.
कुछ देर तो वो कुछ नहीं बोली और फिर एकदम से खड़ी हो गयी.
मेरा हाथ उसके हाथ पर ही था.
वो मुस्कराते हुए बोली- क्या बात है, काम नहीं करने देंगे क्या आप?
मैं भी हवस भरे लहजे में बोला- जब आप जैसी कामदेवी सामने हो तो बाकी काम की किसे फिक्र है?
ये कहते हुए मैंने उसके कोमल हाथ को जोर से भींच दिया और सहलाते हुए उसके होंठों के करीब बढ़ने लगा.
उसकी सांसें थोड़ी तेज होने लगीं. उसकी नजर मेरे होंठों पर गड़ गयी.
मैं उसके और करीब आता जा रहा था और उसकी सांसें मुझे अपने चेहरे पर महसूस होने लगीं.
मैं और करीब आता गया और उसने मुझे पीछे धकेलने की कोशिश की.
मगर उसी वक्त मैंने उसकी कमर को थाम लिया और उसे अपनी ओर खींच लिया. खींचकर मैंने उसे दीवार से चिपका दिया. उसके दोनों हाथों को उसके सिर के ऊपर जकड़ लिया.
उसकी सांसों में उफान आ गया था और उसकी कमीज में उसकी चूची ऊपर नीचे होने लगीं.
मैंने अपना एक हाथ फ्री कर दिया और उसकी चूची पर कमीज के ऊपर से ही रख दिया.
आप लोगों को तो पता ही है कि मुझे लड़कियों को इस तरह से तड़पा कर चोदने में ही मजा आता है.
जब तक लड़कियों के मुंह से आह्ह … ऊह्ह … ऊफ्फ … आदि आवाजें नहीं आतीं तब तक मुझे मजा नहीं आता.
जैसे ही मैंने कविता की चूची दबाई … वैसे ही उसके मुंह से आह्ह … निकल गयी.
मुझसे कंट्रोल नहीं हुआ और मैंने अपने होंठ उसके होंठों पर रख दिये.
अब एक तरफ मेरा हाथ उसकी चूची मसल रहा था और मेरे होंठ उसके होंठों को सहला रहे थे.
मैंने पहले तो धीरे धीरे चूसना शुरू किया लेकिन फिर मेरे चूसने की स्पीड और ताक़त बहुत बढ़ गयी. मैंने उसके दोनों होंठों को एक एक करके काटना शुरू कर दिया.
मेरी इस हरकत ने उसको इतना गर्म कर दिया कि उसने मुझे बहुत कसकर गले लगा लिया और बदले में उसने भी मेरे होंठों को काटना और चूसना शुरू कर दिया.
हम दोनों की जीभ अब एक दूसरे के मुंह में घुसी हुई थी.
अब मैंने अपना हाथ उसकी चूची से हटा कर उसकी पीठ पर रख दिया और उसकी पूरी पीठ सहलाता हुआ मेरा हाथ धीरे धीरे उसके चूतड़ों को सहलाने और दबाने लगा.
अब तो जैसे हम दोनों आउट ऑफ कंट्रोल हो गये. मेरा लंड बरमूडा में ही टाइट हो गया और मैं ऐसे ही अपने लंड को उसकी सलवार के उपर से रगड़ने लगा.
वो भी इतनी गर्म हो चुकी थी कि वो भी अपने जिस्म को मेरे जिस्म से ज़ोर ज़ोर से रगड़ रही थी और मुझे और ज़ोर से आलिंगन कर रही थी.
बस तभी नीचे से आवाज़ आई- निहाल, कविता! जल्दी सामान लेकर आओ छत से, और कितना देर लगेगी तुम दोनों को?
मेरा उसको छोड़ने का मन नहीं कर रहा था.
उसने फिर धक्का देकर मुझे अपने से अलग कर लिया. फिर हमने कपड़े ठीक किये और जल्दी से नीचे उतरने लगे. वो मेरी ओर देखकर मुस्कराते हुए पहले नीचे उतर गयी.
दोस्तो, इसको कहते हैं खड़े लंड पर धोखा.
अगर किसी भी पाठक या पाठिका के साथ ऐसा हुआ हो कि वो रोमांस कर रहे हों और अचानक से किसी कारण उनको अलग होना पड़ा हो तो मुझे ज़रूर बताना कि कैसा लगता है उस वक्त!
फिर उसके नीचे जाने के बाद मैं भी नीचे गया.
मैंने कुछ देर वहां पर काम करवाया और फिर अपने घर चला गया. मैं सीधा बाथरूम में गया और मुठ मारी.
उस दिन के बाद से कविता के साथ मेरी रोमांस की गाड़ी चल पड़ी.
जब भी हमें मौका मिलता हम दोनों एक दूसरे से लिपट कर चूसा चासी करते और जिस्मों को नोंचने की कोशिश करते.
अभी तक चुदाई का मौका नहीं मिल पाया था.
हम दोनों रात में फोन पर सेक्स चैट और फोन सेक्स भी करने लगे थे.
वो नहाते हुए अपनी फोटो भी भेजती थी.
मैंने भी उसको अपने लंड की फोटो भेजी.
एक दिन उसने मेरा नाम लेते हुए अपनी चूत में उंगली भी की.
मैंने भी उसका नाम लेते हुए मुठ मारने की वीडियो भेजी.
अब दोनों के लिए ही रुकना मुश्किल था.
हमने एक दूसरे से वादा कर लिया था कि उसकी सहेली की शादी होने से पहले तक हम चुदाई जरूर कर लेंगे.
ऐसे ही दिन बीतने लगे.
बीच बीच में मैं नेहा को भी पकड़ कर रगड़ देता था. उसके मुंह में भी लंड डाल कर मुंह को चोद चुका था.
अब ये सब मुझे उस साली कविता के साथ करना था.
आख़िर वो दिन आ ही गया.
उसकी सहेली की शादी का दिन था. उस दिन वो सुबह से ही बिज़ी थी क्यूंकि उसको बहुत सारे काम करने थे तो उस दिन सुबह से हमारी बात भी नहीं हो पाई थी.
ऐसे ही तड़पते तड़पते शाम हो गयी.
सब लोग तैयार होने लगे.
मैं भी बढ़िया सी शेरवानी लाल रंग की, सफेद पाजामा और एक सफेद स्कार्फ़ पहन कर तैयार हो गया.
शाम में जब बारात आने का समय हुआ तब मुझे कविता दिखी.
अब बस आप लोग इमेजिन करना कि वो कैसी लग रही थी. उसने सुनहरे रंग की घाघरा चोली पहन रखी थी जिस पर बहुत ही सुंदर मोती का काम किया हुआ था.
उसके ऊपर उसने लाल मोतियों वाला दुपट्टा, जो सिर्फ़ उसके दाहिने कंधे पर टिका था हुआ, पहना था.
उसकी चोली डीप कट थी जिसमें से उसकी पिंक ब्रा की थोड़ी सी डिज़ाइन दिख रही थी और चूचों के ऊपर का हल्का सा हिस्सा भी दिख रहा था.
पीछे से सिर्फ़ 3 डोरी से बँधी हुई थी चोली. खुले हुए बालों से घिरी हुई उसकी गोरी पीठ बहुत गजब लग रही थी.
उसका घाघरा बहुत ही सुंदर था जो कमर से नीचे बँधा हुआ था. इस वजह से उसकी नाभि बिल्कुल साफ दिख रही थी.
गोरी और हल्की मोटी, गदरायी हुई कमर और उसमें उसकी गोरी नाभि.
उफ्फ … देखते ही मेरा तो लंड खड़ा हो गया. सोचो दोस्तो, जब मैं उसके सामने था तो मेरा क्या हाल हुआ होगा.
जब सब लोग रस्मों में और खातिरदारी में जुट गये तो मुझसे रहा नहीं गया और मैं कविता के पास चला गया.
मैं उसके पास जाकर बोला- चलो, थोड़ी देर बाहर चलते हैं.
कविता- नहीं, बहुत सारे लोग हैं. गांव के सारे लोग आसपास में ही हैं. अगर किसी ने देख लिया तो हंगामा हो जायेगा.
मुझे गुस्सा आ रहा था उसकी बातों पर.
साली सपना दिखाकर तरसा रही थी मुझे.
फिर भी मैं कोशिश करता रहा.
मैं बोला- कुछ नहीं होगा. मैं वादा करता हूं. पहले मैं जाता हूं. उसके थोड़ी देर के बाद पीछे से तुम आ जाना.
काफ़ी मनाने और समझाने के बाद वो तैयार हुई.
मैं अपने घर गया और दरवाज़ा खुला छोड़ कर वहीं पास में खड़ा हो गया उसके इंतज़ार में.
वो चुपके चुपके इधर उधर देखती हुई आई और जल्दी से अंदर घुस गयी.
मैंने तुरंत दरवाज़ा बंद किया और उसको पकड़ लिया. मैंने उसको पीछे से पकड़ लिया और उसके बाल एक तरफ करके उसकी गर्दन पर किस करने लगा और चाटने लगा.
कविता- हाह्ह … उफ्फ … उम्म … लगता है बहुत आग लगी हुई है तुम्हें!
वो हंस रही थी लेकिन मुझे गुस्सा आ रहा था.
मैंने पीछे से ही उसकी चोली के ऊपर से ही उसकी चूचियों को पकड़ लिया. मैं जोर जोर से उसकी चूची मसलने लगा.
अब उसके मुंह से बहुत मादक आवाजें आ रही थीं.
कविता- उफ्फ … क्या कर रहे हो निहाल जी! अंदर चलिये, यहां गेट के पास नहीं.
मैंने उसको गोदी में उठा लिया और उसको किस करते हुए अंदर रूम तक लेकर जाने लगा.
वो भी अपनी बांहों को मेरे गले में डालकर मुझे किस कर रही थी. अंदर जाते ही मैंने उसको नीचे उतारा और उसको पीछे घुमा कर उसकी पीठ पर से बाल आगे कर दिए.
इसके बाद मेरा हाथ उसकी कमर पर घूमने लगा और मेरे होंठ उसकी पीठ को चूमने लगे. मैंने उसकी पूरी पीठ चाट ली ऊपर से नीचे तक और उसकी गर्दन के आस पास दाँत से काट दिया.
अब मैंने उसको सीधा घुमाया और नीचे बैठ गया.
वो बिल्कुल दीवार के पास थी.
मैंने उसकी कमर को पकड़ा और अपने होंठ उसकी नाभि पर रख दिए.
उसने बहुत जोर से सांस ली और उसके मुंह से निकला – आह्हह …. धीरे!
इस सिसकार के साथ उसने अपने दोनों हाथों से मेरे बाल पकड़ लिये और उनको अपनी कमर के पास से हटाने की कोशिश करने लगी.
मगर मैं उसकी कमर को किस करना और चाटना शुरू कर चुका था.
अब वो कभी मेरे बाल पकड़ती तो कभी दीवार!
वो बहुत गर्म हो रही थी और मैं बस उसकी नाभि में जीभ डालकर चाटने में लगा हुआ था.
अब कविता ने मुझे उठाया और मेरे उपर टूट पड़ी. उसने मुझे किस करना और चाटना चालू कर दिया.
मैंने अपनी शेरवानी निकल दी और उसने मेरा पाजामा निकाल दिया. अब मैं सिर्फ़ चड्डी में था. मेरे पूरे बदन पर नाख़ून और दाँत लगाते हुए वो नीचे बैठ गयी.
अब उसने मेरी चड्डी भी नीचे कर दी और मेरा लंड उसके सामने उछल कर बाहर आ गया.
मेरा लंड भी गीला हो चुका था. बिना कुछ बोले उसने मेरा लंड हाथ में पकड़ा और मुंह में डाल लिया.
उसने मेरे लंड को सहलाते हुए ही चाटना और चूसना चालू कर दिया.
उफ्फ दोस्तो … मुझे कितना मजा आ रहा था कि बस क्या बताऊं.
मैंने उसके बाल पकड़ लिये और कमर को हिलाना शुरू कर दिया.
अब मैं बिल्कुल आसमान में उड़ रहा था. मेरी आँखें बंद थीं और वो साली बिल्कुल कुतिया की तरह मेरा लंड मुंह में लेकर पूरा चूस रही थी.
मुझे समझ में आ गया था कि मैं ज़्यादा देर तक नहीं रोक पाऊंगा इसलिए मैंने उसके बाल पकड़े और ज़ोर ज़ोर से उसके मुंह में धक्के लगाने लगा.
उसकी 5-7 मिनट की मुंह चुदाई करने में ही मेरा पानी निकल गया.
मैंने सारा माल उसके मुंह में ही गिरा दिया.
फिर मैंने उसे पलंग पर पटका और उसका घाघरा खोल दिया.
फिर मैंने उसकी चड्डी भी निकाल दी. मेरे सामने उसके फूली हुई और जिस्म के मुकाबले थोड़ी सी काली सी चूत मेरे सामने आ गयी. मैंने अपना मुंह उसकी जांघों के बीच में घुसा दिया और उसकी चूत को चाटना और चूमना शुरू किया.
वो सिसकारने लगी और अपनी जांघों को समेटने की कोशिश करने लगी.
मैंने अपने हाथों से उसकी जांघों को फैलाये रखा और उसकी चूत को जोर जोर से चाटने लगा.
मैंने उसकी चूत चौड़ी फैलाई और अपनी जीभ उसमें डाल दी. वो तो बस तड़प रही थी और अपने जिस्म को इधर उधर रगड़ रही थी.
कुछ ही देर में उसका भी पानी निकल गया.
अब मैं फिर से उसके होंठों को चूमने लगा और अपनी दो उंगलियां उसकी चूत में डालकर अंदर बाहर करने लगा.
उसके हाथ भी मेरे लंड के साथ खेल रहे थे.
अब हम दोनों फिर से गर्म हो गये और मैंने अपना लंड उसकी चूत पर सेट किया और रगड़ने लगा.
वो गुस्सा हो गयी और बोली- अब क्या खेल रहा है साले? जल्दी से डाल दे ना!
ऐसा बोलते ही मैंने अपना लंड उसकी चूत में डालना शुरू कर दिया.
मैंने अपना पूरा लंड धीरे धीरे अंदर डाला और फिर पूरा बाहर निकल लिया.
अगली बार उसको लगा कि मैं फिर धीरे धीरे डालूँगा लेकिन इस बार मैंने पूरा लंड एक बार में ही उसकी चूत में घुसा दिया.
अचानक ऐसा होने के चलते उसके मुंह से निकला- आह्हह …. माई … मर गयी रे … धीरे डाल ना भोसड़ी के … साले.
मैंने उसकी टांगें हवाई में उठाईं और बोला- आह्ह … मेरी रंडी, आज तुझे इतनी जोर से चोदूंगा कि तू अपने पति की चुदाई को भूल ही जायेगी.
कविता- आह्ह साले … जा ना … तू क्या मेरे पति की बराबरी करेगा? तेरे लंड में इतना दम कहां मिलेगा.
मैं- उफ्फ … साली, रुक तू. अब तो तेरी चूत का ऐसा भोसड़ा करूँगा कि तू रोते हुए जाएगी यहां से.
मैंने उसकी जांघों को थामा और उसकी चूत को जोर जोर से पेलने लगा. उसकी चूचियों में जैसे तूफान आ गया. वो गेंद की भांति यहां वहां डोलने लगीं. बहुत जोर से हिल रहा था उसका बदन.
पूरी ताकत लगाकर मैं उसको चोदे जा रहा था.
वो भी साली पूरी खिलाड़ी थी. लंड को बर्दाश्त करते हुए मस्त सेक्सी आवाजें निकाल रही थीं.
मैं तो उसकी चूत मारते हुए स्वर्ग की सैर कर रहा था.
उसके चेहरे पर हल्के दर्द और मजे को देखकर मैं और ज्यादा उत्तेजित हो रहा था.
दोनों एक दूसरे को गालियां देते हुए उकसा रहे थे.
ऐसे ही गंदी गंदी बातें करते हुए हम दोनों ने लगभग 2 घंटे तक एक दूसरे के जिस्मों को नोचा.
हमने चुदाई के अलग अलग पोज़ ट्राई किए.
कभी उसे कुतिया बनाया, तो कभी वो खुद मेरे लंड पर बैठकर चुदी. कभी मैं उसके ऊपर तो कभी वो मेरे ऊपर.
जितने भी पोज आपको पता हों आप सब सोच लेना.
इतनी देर में हम दोनों तीन-चार बार झड़े. फिर हमने कपड़े पहने और दोनों बाहर निकल गये. उसकी सहेली की शादी के बाद वो चली गयी और उसके बाद हम अब तक दोबारा नहीं मिले.
तो दोस्तो, कैसी लगी आपको मेरी ये देसी चूत Xxx स्टोरी?
वैसे ये कहानी बिल्कुल सच है. अगर आपके साथ भी किसी शादी में ऐसा हुआ हो या आपको किसी ने किसी शादी या त्यौहार में चोदा हो तो मुझे ज़रूर बताना.