इंडियन जीजा साली Xxx कहानी में पढ़ें कि मेरा साली मुझसे चुदना चाहती थी पर गर्भ से डरती थी. वो मेरा लंड चूस कर मजा देती थी. वो चुदी शादी के बाद!
साथियो, मैं सुमीतआपको अपनी साली की चुदाई की गरम सेक्स कहानी सुना रहा था.
इंडियन जीजा साली Xxx कहानी के पहले
कुंवारी साली की गांड में लंड घुसाया
में अब तक आपने पढ़ा था कि मैं अपनी साली की गांड मारने में लगा हुआ था.
लंड का सुपारा गांड के छेद में पेल दिया था.
अब आगे इंडियन जीजा साली Xxx कहानी:
मैंने ज्यादा ताकत लगाते हुए अन्दर की तरफ पेल दिया.
आधे से ज़्यादा लंड गपगपाते हुए रीतू की गांड में घुस गया.
रीतू की चीख निकल गयी. चीख सुन कर मेरी हालत खराब हो गयी.
वह रोने और गिड़गिड़ाने लगी- जीजा जी रहने दीजिए, मैं मर जाऊंगी.
मैंने कहा- नहीं करेंगे, मत रो.
इतना कहकर मैं वापस कमरे में आ गया.
वापस आकर देखा कि पूनम गहरी नींद में सो रही थी.
मैंने भगवान का शुक्रिया अदा किया कि चलो बच गए.
थोड़ी देर बाद मुझे नींद आ गयी और मैं सो गया.
इसके बाद रीतू के साथ ऐसा मौका फिर कभी नहीं मिला और न ही मैंने कभी करने का प्रयास किया, पर चुम्मा-चाटी, लंड पिलाना ये सब चलता रहा.
समय अपनी गति से धीरे-धीरे आगे बढ़ता जा रहा था.
अब छोटे वाले साले रामू की शादी की बात चलने लगी थी.
एक दो जगह बात चली लेकिन किसी न किसी वजह से बात आगे नहीं बढ़ पायी.
फिर एक जगह बात चली और उसकी शादी गार्गी के साथ तय हो गई.
फिर वह हसीन मौका आया, जो हमेशा मेरे लिए यादगार बन गया.
मेरे स्मृति पटल पर जिसने अमिट छाप छोड़ दी.
शादी में जयमाला की रस्म के समय मैंने पहली बार गार्गी को देखा और पहली नज़र में उसको देखते ही कुछ पल के लिए मैं अपलक उसे देखता ही रहा.
शादी के जोड़े में वो देखते ही बन रही थी.
मैं दंग रह गया कि बला की खूबसूरत थी.
मेरी नज़र उस पर से हट ही नहीं रही थी.
देखते ही देखते मैं उसका दीवाना हो गया. उसकी चूचियां ऐसी लग रही थीं कि जैसे दो अमृत कलश रखे हों और ब्लाउज फाड़कर बाहर निकलना चाहते हों.
सारे लोगों की नज़रें उसी पर थीं.
उसके अमृत कलश मानो सभी मर्दों को निमंत्रण दे रहे थे कि हे जन्म-जन्मान्तर के प्यासे पथिक आओ और आकर अपनी प्यास बुझा लो.
गार्गी का चेहरा ऐसा था … जैसे खिला हुआ गुलाब हो.
मुझे रामू की किस्मत से रश्क होने लगा.
लेकिन फिर मन ने समझाया कि ये अप्रतिम सौन्दर्य की मलिका कल घर यानि ससुराल पहुंच जाएगी … और तब इसका जीभर के दीदार कर पाओगे.
मेरे जैसा आदमी इसके अमृत को पीकर अमर हो जाएगा.
शादी होकर गार्गी मेरी ससुराल यानि अपनी ससुराल आ गई.
जब गार्गी मेरे पैर छूने आई, तब मैंने एक साइड से उसके स्तनों को देखा और एक आह निकल आयी कि काश ये मेरे होते तो मैं इनको पकड़कर इनका रसपान कर पाता.
उस दिन देर रात तक मैं जागता रहा.
वैसे तो मेरी सुबह 5 बजे उठ जाने की आदत है, पर उस दिन देर में सोने के कारण जब मैं उठा तो सुबह के सात बजे चुके थे.
उस समय हल्की ठंडक थी, मैं छत पर टहलने चला गया.
मुझे अच्छी तरह से याद है कि छत की अलगनी पर महरून रंग कच्छी और ब्रा टंगी हुई थी.
अलगनी पर टंगी कच्छी और ब्रा से बूंद-बूंद पानी ऐसे टपक रहा था, जैसे मधुमक्खी के छत्ते से बूंद बूंद करके शहद टपक रहा हो.
ससुराल में 10-15 दिन पर मेरा आना जाना लगा रहता था. मैं अब इस ताक में रहता कि गार्गी मुझसे बात करे.
कहते हैं कि इश्क़ और मुश्क छिपाए नहीं छुपता, वही मेरा साथ हुआ.
रीतू ने मुझे कई बार टोका कि भाभी की तरफ बहुत देखते हो.
अब मैं उसे क्या बताता कि मैं तो आता भी उसी के लिए हूं.
रीतू के साथ जो मेरे खेल थे, वो चलते रहे.
रीतू मेरा लंड चूस कर उसका रस निकाल कर पी लेती थी इससे मेरी उत्तेजना तो शांत हो जाती.
पर मेरे दिल की बेचैनी बढ़ती ही जा रही थी.
शुरू-शुरू में तो घर गार्गी को मुझसे बहुत शर्म आती थी, पर धीरे धीरे समय के साथ उसने मुझसे मजाक करना शुरू कर दिया और मैं भी उसे मजाक करने लगा.
मुझे उसके साथ बात करने में बहुत मजा आता था.
उस समय मुझे लगता था कि वह भी आनन्द ले रही है.
मैं हमेशा सोचता रहता था कि काश यह मेरी हो जाए.
धीरे धीरे हमारी बातें आपस में सेक्स पर भी होने लगीं और हम कभी कभी फोन पर भी बात कर लेते.
वह पूछती- आप ननद जी के साथ कितनी बार करते हो?
तो मैं भी पूछ लेता- आप कैसे करती हो.
वो बताती- ये तो मेरे नीचे लेट जाते हैं और मैं उनके ऊपर चढ़ जाती हूँ.
मैं उसे बताता कि मुझे तो कुत्ता कुतिया वाला खेल पसंद है.
इस बात पर हंस देती.
रीतू को पसंद नहीं आता था कि मैं गार्गी से बात करूं इसलिए रीतू के सामने मैं गार्गी से कम बात करता था. हमारी बात सिर्फ हालचाल लेने के लिए होती थी.
गार्गी मुझसे अपनी सारी बातें बता दिया करती थी और मैं भी ऐसा ही करता था.
पर उसकी तरफ से अभी तक कोई ऐसा संकेत नहीं मिला कि मैं अपनी बात कह पाता.
अब रीतू की शादी की बात घर में होने लगी थी.
लड़का दूर की रिश्तेदारी में आता था और रीतू के साथ पढ़ाई भी कर चुका था.
लड़का देखने में सुंदर था.
धीरे-धीरे रीतू का मन उधर लगने लगा और अब वह अक्सर फ़ोन पर लगी रहने लगी.
मेरे साथ भी रीतू की बातचीत कम हो गयी.
हालांकि मैं जब भी ससुराल जाता तो वह मेरे लंड का रसपान ज़रूर करती, पर अब पहले जैसी बात न उसकी तरफ से थी और न ही मेरी तरफ से.
गार्गी की शादी हुए एक साल से ज़्यादा हो चुके थे, पता चला कि गार्गी प्रेग्नेंट है।
रीतू की शादी का समय भी आ गया.
उस समय तक गार्गी की प्रेगनेंसी को सात महीने ही चुके थे.
वो सितंबर के महीना था, इसी महीने में रीतू की शादी हो गयी और वह अपने ससुराल चली गई.
नवंबर महीने में गार्गी ने प्यारी सी बेटी को जन्म दिया.
अब ससुराल जाना कुछ कम हो गया था.
बेटी का जन्म के बाद गार्गी और खिल सी गयी थी. उसके स्तन बेटी को दूध पिलाने के कारण कुछ बड़े से हो गए थे.
एक दिन मैं ससुराल गया तो सास अन्दर कमरे में लेटी हुई थीं और गार्गी अपनी बेटी को दूध पिला रही थी.
मुझे देखते ही उसने अपना दूध ब्लाउज से ढकने की कोशिश की लेकिन मुझे भरपूर नज़ारा मिल ही गया.
निप्पल में दूध लगा होने के कारण ब्लाउज से ढकने पर भी कपड़े के अन्दर आर-पार निप्पल और उसका चॉकलेटी घेरा नज़र आ रहा था.
मेरे लंड ने सलामी लेना शुरू कर दिया था.
मैं बेशर्मी से उसके ब्लाउज की तरफ देखे जा रहा था.
गार्गी ने शर्म से अपनी नज़रें नीचे झुका लीं.
वहां से घर वापस आया, उस सारी रात गार्गी की गोलाइयां और चॉकलेटी निप्पल मेरे जेहन में नाचते रहे.
धीरे धीरे मेरी दीवानगी उसके प्रति बढ़ती जा रही थी और मैं उससे बेइंतिहा प्यार करने लगा था.
मेरा हाल बहुत बुरा होता जा रहा था और समझ में नहीं आ रहा था कि मैं क्या करूं और उससे कैसे कहां मिलूं.
उसके बिना जीना मुश्किल हो जा रहा था.
सोच रहा था कि इसको कितना और कैसे प्यार करूं.
अब तो हम लोग छिप-छिपा के बात कर लेते थे. हम लोगों की आपसी बातचीत का न तो मेरी बीवी को पता लगता और ना ही उसके पति को.
कुछ दिन और ऐसे ही बीते. अब चीजें मेरी बर्दाश्त से बाहर हो रही थीं.
कुछ दिन बाद मेरी मनोकामना पूरी होने की स्थिति बनने लगी.
दरअसल मेरी ससुराल में मेरे साले रामू को लगने लगा था कि अकेले दुकानदारी से तरक्की नहीं हो पाएगी तो उसने किसी कम्पनी में अपनी जॉब के लिए अपना बायडाटा भेजा था.
उसी सिलसिले में मेरे साले रामू के लिए मुंबई से ऑफर आ गया था.
जिस कम्पनी में उसने अपनी एप्लीकेशन भेजी थी, वो स्वीकार हो गई थी.
उसे एक हफ्ते के अन्दर कम्पनी ज्वाइन करने जाना था.
वो शनिवार की रात को चला गया.
अब घर में गार्गी अपने बच्चे के साथ रह गई थी.
मुझे अपने लंड की आग बुझाने के लिए गार्गी एक सम्भावना दिखने लगी थी.
इसके लिए मैंने अपनी साली की मदद ली.
उसे मैंने बताया कि गार्गी की चूत दिलवा दो.
वो खुद भी अपनी चूत चुदाई के लिए मचल रही थी.
अगले हफ्ते मैं अपनी ससुराल आ गया.
उसी दिन साली भी आ गई.
मेरी बीवी गार्गी और सासू माँ के साथ किसी मन्दिर में चली गई.
मैं भी घर से ये कह कर निकल गया कि मुझे शाम तक का कुछ काम है.
ये सुनकर मेरी सासू ने मेरी साली को घर पर रुकने का कह दिया और वो तीनों चली गईं.
उन तीनों के जाने के बाद मेरी साली का फोन आ गया तो मैं वापस अपनी ससुराल आ गया.
अब जीजा साली का सेक्स शुरू होने में कोई अवरोध नहीं था.
रीतू ने मेरे हर में आते ही दरवाजे लगा दिए और मुझ पर टूट पड़ी.
उसकी चूचियां काफी भर गई थीं.
मैं भी मस्ती से अपनी साली की चूचियां चूसने लगा.
जल्दी ही हम दोनों नंगे हो गए और रीतू मेरे लंड को चूसने लगी.
मैंने उसे 69 में ले लिया और मैं भी उसकी चूत का रसपान करने लगा.
एक एक बार हम दोनों ने स्खलित होकर एक दूसरे को तृप्त किया और लम्बी लम्बी साँसें भरते हुए अगले दौर के लिए चूमाचाटी करने लगे.
मैंने रीतू से कहा- अब गार्गी की चूत दिला देना … उसे चोदे बिना मुझे चैन नहीं आएगा.
रीतू बोली- जीजू, तुम महा मादरचोद हो … साले मेरी चूत अभी चोदी नहीं है और मेरी भाभी की चूत पर दांत लगाए बैठे हो!
मैंने रीतू को अपनी गोद में खींचा और उसकी चुचियां मसलते हुए कहा- साली रंडी, तेरी चूत चोदने में कितना वक्त रह गया. तेरी चूत का भोसड़ा तो अभी बना देता हूँ.
वो बोली- हां हां बना दो भोसड़ा … मेरी जान मेरी चूत में बड़ी आग लगी है.
मैंने पूछा- क्यों तेरा खसम नहीं चोदता तुझे?
वो बोली- तेरे लंड से आधा लंड है उसका … वो तो किसी तरह से काम चला रही हूँ वरना अब तक तो कभी की मर जाती.
मैंने कहा- काम चला रही हो, इसका क्या मतलब हुआ?
वो बोली- एक प्लास्टिक का लंड ऑनलाइन मंगवा लिया था. उसी से चूत चोद रही हूँ. अब देर न करो जीजू … जल्दी से लंड पेलो और मेरी खुजली मिटा दो.
मैंने भी रीतू को नीचे लिया और उसके ऊपर चढ़ गया. रीतू ने लंड को अपने हाथ से पकड़ कर चूत में सैट किया और बोली- हां अब पेलो.
मैंने धक्का मारा तो आधा लंड चूत फाड़ता हुआ अन्दर घुस गया.
वो कराह उठी और बोली- जीजू धीरे धीरे करो … मजा लेने आई हूँ, दर्द न दो.
मैंने कहा- बिना दर्द के मजा भी कहाँ मिलने वाला है. थोड़ा झेल ले रानी.
वो मान गई और कुछ ही देर में धकापेल चुदाई शुरू हो गई.
दस मिनट बाद मैं झड़ने को हुआ तो रीतू बोली- रस अन्दर ही छोड़ दो. मैं गाभिन होना चाहती हूँ.
मैंने लंड का रस उसकी चूत में टपका दिया.
उस दिन मैंने दो बार और चुदाई का मजा लिया और बाहर चला गया.
फिर रीतू का फोन आया तो वापस ससुराल आ गया.
उस दिन गार्गी मेरी तरफ प्यासी नजरों से देख रही थी.
मैंने रीतू की तरफ देखा, तो उसने हामी में आंख दबा दी.
सामने गार्गी भी मुस्कुरा रही थी.
मैं समझ गया कि सलहज भी चुदने के लिए पट गई है.
अब सलहज को किस तरह से चोदा, वो मैं अगली सेक्स कहानी में लिखूँगा