सूरज की मम्मी को पड़ोस के भैया ने चोदा- 1

हिंदी Sex कहानी में एक कमसिन लड़के की दोस्ती पड़ोस के ठरकी लड़के से हो गयी. दोनों एक साथ ब्लू फिल्म देखेते और सेक्स की बातें करते. एक दिन बड़े लड़के ने छोटे की माँ की बात की.

दोस्तो, यह सेक्स कहानी मेरे दोस्त सूरज की है.
आप सूरज की ज़ुबानी ही इस हिंदी Xxx कहानी को सुनें.

मेरा नाम सूरज है. मैं रायपुर का रहने वाला हूँ.
यह कहानी मेरी मम्मी और पड़ोस वाले भैया की है.

मेरे घर में मम्मी पापा और मैं ही रहता हूँ.
पापा एक फैक्टरी में मैनेजर हैं और मम्मी हाउसवाइफ हैं.

मेरी मम्मी की चुदाई के पीछे की वजह मैं ही हूँ जो आप कहानी में आगे जान लेंगे.

मम्मी का नाम सरिता है. वे बहुत ज्यादा गोरी नहीं हैं मगर उनका बदन खूब भरा हुआ है.
मम्मी का फिगर 36-32-38 का है.

वे एक सीधी सादी हाउसवाइफ हैं.
मम्मी की उम्र तब 39 साल थी.

पापा सुबह काम पर चले जाते थे और रात को ही वापस आते थे.
घर में मम्मी और मैं ही पूरे दिन होते थे.

मम्मी को टीवी देखना बहुत पसंद है और वे अपना टाइम पास टीवी देख कर ही करती हैं.

जबकि मैं अपना टाइम बिताने पड़ोस वाले भैया के घर गेम खेलने जाता था.

ये वही भैया हैं जिन्होंने मम्मी की चुदाई की है.

भैया का नाम सुनील है.
उनकी उम्र 24 साल के आस पास है.
वे कॉलेज में पढ़ाई करते हैं.

उनके घर वाले गांव में रहते हैं.
वे यहां किराए का कमरा लेकर रहते हैं और पढ़ते हैं.

भैया के पास लैपटॉप था, जिसमें भैया फ्री फायर वाला गेम खेलते थे.
मुझे जब भी मौका मिलता था, मैं उनके पास जाकर उनके लैपटॉप पर फ्री फायर गेम खेलता हूँ.

मैं रोज़ स्कूल से आकर उनके पास गेम खेलने चला जाता हूँ.

एक दिन ऐसे ही रोज की तरह में’ भैया के घर गया.
मैं हमेशा अपने घर की छत के रास्ते से ही उनके घर जाता था. जैसे ही मैं सीढ़ियों से नीचे गया, तो मैंने देखा कि भैया के टीवी पर ब्लू फिल्म चल रही थी और वे सोफे पर बैठकर अपना लंड हिला रहे थे.

ब्लू फिल्म में बड़ा ही सेक्स सीन चल रहा था.
उसे देखकर मेरा लंड भी खड़ा हो गया.

मगर तभी भैया की नज़र मुझ पर पड़ गई और उन्होंने तुरंत टीवी बंद कर दिया.
उन्होंने अपना लंड पजामे में डाला और मेरे पास आ गए.

भैया- सूरज तू कब आया. मुझे तो पता ही नहीं चला!
मैं- बस भैया तभी आया. जब आप लंड हिला रहे थे.

भैया- सूरज तुमने देख तो लिया है. मगर किसी से कहना मत!
मैं- भैया हम दोनों दोस्त हैं न … आप चिंता मत करो. वैसे मेरा भी मन यह फिल्म देखने को कर रहा है.

चूंकि मैंने पहले कभी ब्लू फिल्म देखी नहीं थी तो जरा सी ब्लू फिल्म देख कर मेरी हालत खराब हो गई थी.

भैया- हम्म … तो तू मेरे साथ ब्लू फिल्म देखना चाहता है?
मैं- हां भैया, मेरा भी मन करता है. नयी नयी ब्लू फिल्म देखने का … एक बार सिर्फ दोस्त के मोबाइल में देखा है. मगर इतनी बड़ी स्क्रीन पर देखने का मज़ा ही अलग है!

भैया- चल देख ले यार. मैं कौन सा किसी से कहने वाला हूँ. वैसे तूने तो मेरी गांड ही फाड़ दी थी.

अब उन्होंने फिर से टीवी चालू कर दिया.
टीवी पर सामने एक औरत डॉगी स्टाइल में झुकी थी और पीछे से एक गोरा आदमी उसकी चूत ज़ोर ज़ोर से चोद रहा था.

ये देखते ही मेरा छोटा सा लंड खड़ा हो गया; मैं अपने लंड को सहलाने लगा.

भैया ने मुझे ऐसा करते हुए देख लिया और उन्होंने खुद का पजामा भी नीचे कर दिया.
उनका लंड 7 इंच के आस पास था और उसके आगे का मोटा टोपा खुला हुआ था.

भैया मेरे सामने ही अपना लंड हिलाने लगे.
मैं एक बार टीवी की तरफ देखता और फिर भैया की तरफ देखता.

भैया का लंड भी बिल्कुल उस गोरे आदमी जैसा ही लग रहा था और मेरा लंड साफ साफ पैंट में दिख रहा था.

वे बोले- अरे यार जब तेरा लंड खड़ा हो गया है, तो उसे बाहर निकाल कर मुट्ठी मार ले न … रुक मैं करता हूँ.

इससे पहले मैं कुछ कह पाता, भैया ने मेरी पैंट खोल दी और मेरा लंड बाहर निकल आया.

मैं मुट्ठी मारने लगा.

भैया के लंड के आगे मेरा लंड तो बच्चा लग रहा था.

मैं- भैया आपका लंड तो काफ़ी बड़ा और मोटा है. मगर मेरा अभी आपके जैसा नहीं है.
भैया- सूरज, सब मर्दों का लंड अलग अलग होता है. तुम अभी छोटे भी हो. अभी तो तुम्हारा लंड और भी बड़ा हो जाएगा!

मैं लंड हिलाता रहा और कुछ ही देर में मेरा शरीर अकड़ गया.
मेरा पानी ज़मीन पर गिर गया.
मैंने अपना लंड अन्दर कर लिया.

अब मेरे मन में यह ख्याल आने लगे कि मैंने ऐसा क्यों किया.
भैया का लंड देखकर मुझे जलन हो रही थी कि काश मेरा लंड भी भैया के जैसा होता.

वे अपना लंड ज़ोर ज़ोर से हिला रहे थे. भैया का लंड वाकई काफ़ी मोटा था. उसका खुला हुआ टोपा और उभरी हुई नसें अलग ही दिख रही थीं.

भैया काफ़ी देर तक मुट्ठी मारते रहे, तब जाकर भैया के लंड से पानी निकला.
अपने लंड का पानी निकालने के बाद भी भैया का लंड जरा सा ही ढीला पड़ा था.
यह मेरे लिए एक अजीब सी बात थी.

उस दिन के बाद से मैं और भैया काफी अच्छे दोस्त बन गए.
अब मैं रोज भैया के घर जाकर ब्लू फिल्म देखता था और अपना लंड हिला लेता था.

भैया भी मेरे साथ कई बार लंड हिलाते थे.

एक दिन भैया ने कहा- सूरज तेरी कोई गर्लफ्रेंड नहीं है क्या?
मैं- भैया, मुझे तो लड़कियों से बात करते हुए भी डर लगता है … और आप गर्लफ्रेंड की बात कर रहे हो!

भैया- सूरज, ये उम्र गर्लफ्रेंड बनाने की है. गर्लफ्रेंड होगी तो तू उसकी चुदाई कर पाएगा और तुझे मुट्ठी मारने की ज़रूरत नहीं पड़ेगी!
मैं- भैया मुट्ठी तो आप भी मारते हो, क्या आपका मन नहीं होता है कि आप किसी लड़की की चुदाई करो!

भैया- नहीं यार, लड़की में वह मज़ा नहीं है, जो मज़ा किसी औरत को चोदने में है.

मैं- भैया आपने कभी किसी को चोदा है क्या?
भैया- सूरज जिनकी जीएफ नहीं होती है. उनके पास रंडी का ही सहारा होता है. मेरी सैटिंग मेरे पड़ोस की एक भाभी से है, लेकिन वे तो मेरे गांव में हैं न … यहां कोई व्यवस्था नहीं है.
मैं- ओह माय गॉड … आप अपने गांव में पड़ोस की भाभी को चोद चुके हो?

भैया- हां सूरज, मैंने उनकी चूत बड़े अच्छे से चोद कर ही उन्हें वापस भेजता हूँ. उन भाभी का पति उनकी गर्मी नहीं निकाल पाता है. वैसे तू बता, आज तक तूने किसी औरत को नंगी देखा है?
मैं- अरे कहां भैया, मेरी किस्मत बहुत खराब है. ना ही नंगी औरत देखी है. ना ही कभी चुदाई की है.

भैया- यार, वैसे जब मोहल्ले की औरतें छत पर आती हैं. तब मैं उनके गदराए जिस्म के दर्शन करता हूँ. बहुत मज़ा आता है. तू भी तो ऐसे देखता होगा!
मैं- हां भैया, ऐसे तो मैं भी औरतों की चूचियां देखता हूँ. अपने मोहल्ले की औरतों की क्या बड़ी बड़ी गांड है.

भैया- तू भी छुपा रुस्तम है. सारे मज़े लेता है. मगर शक्ल से कितना सीधा लगता है. ऐसे दिखता है, जैसे कुछ जानता ही ना हो!
मैं- भैया वैसे सीधे तो आप भी बनते हो. मगर देखो, अन्दर ही अन्दर आप अपनी पड़ोस की भाभी को चोद चुके हो!

भैया- सूरज, ये सब तो कभी कभी ही हो पाता है. हमेशा नहीं होता है. इसलिए मैं तो ऐसी औरत चाहता हूँ, जो रोज मेरे लंड की गर्मी को निकाले.
मैं- भैया ऐसी औरत कहां होती है, जो रोज रोज लंड लेना चाहे.

भैया- सूरज, तू अभी छोटा है. तुझे क्या पता कि जो औरत जितनी सीधी होती है. उसकी चूत में उतनी ही आग होती है. जब मेरे पड़ोस की भाभी मेरे पास आई थीं तो वे बहुत शर्माती थीं. मगर अब खुल कर चुदवाती हैं.

मैं- वैसे भैया सच कहूँ, तो मुझे भी लड़की से ज्यादा आंटी पसंद हैं. उनकी चूचियां कितनी बड़ी बड़ी होती हैं. मन करता है कि बस हमेशा चूसता ही रहूँ.

भैया और मैं अब रोज छत पर बैठकर औरतों की चूचियां और गांड देखा करते थे.
वे कभी मुझे किसी की बड़ी बड़ी चूचियां दिखाते तो कभी मैं किसी आंटी की बड़ी गांड.

मगर कहते हैं ना कि जो तुम दूसरों के लिए सोचते हो … वही कोई तुम्हारे घर वालों के लिए भी सोचता है.
हम दोनों काफ़ी दिनों से औरतों की चूचियां और गांड देख रहे थे … और उनके बारे में बात भी कर रहे थे.

फिर एक दिन मैं और भैया बैठे थे.
तभी मम्मी छत पर आ गईं.

मम्मी ने साड़ी और ब्लाउज पहना हुआ था.
उनकी बड़ी बड़ी चूचियों की घाटी और उनका खुला हुआ पेट साफ दिख रहा था.

मैंने देखा कि भैया मेरी मम्मी की जवानी को ताड़ रहे थे और उस वक्त उनका लंड झटके खा रहा था.

थोड़ी देर बाद मम्मी चली गईं.
तब मैंने देखा कि भैया की नज़र मम्मी की गांड पर लगी थी.

मैं- ये क्या देख रहे है भैया? वे मेरी मम्मी हैं.
भैया- सॉरी यार, ग़लती से नज़र चली गयी थी. मगर मैं क्या करता यार … तेरी मम्मी की चूचियां और गांड बहुत बड़ी है.

मैं- भैया, जुबान संभाल कर बात करो! आप मेरी मम्मी के बारे में गलत बात कर रहे हो!
भैया- अबे तू तो ऐसा गुस्सा हो रहा है. जैसे मैंने कुछ ग़लत कह दिया हो. अबे हर बंदा तेरी मम्मी की गांड और चूचियों का दीवाना है. वैसे भी वे हैं तो एक औरत ही … और तूने भी तो कभी उन्हें देखा ही होगा!

मैं- हां भैया देखा है. मगर वे मेरी मम्मी हैं!
भैया- अच्छा एक बात बता … तूने कभी आपने मम्मी पापा को चुदाई करते देखा है?

अब मुझे भैया पर सच में गुस्सा आ रहा था.
फिर भी मैं थोड़ी देर उनके पास बैठ रहा.
उनका लैपटॉप मेरे हाथ में ही था जिसमें मैं गेम खेल रहा था.

फिर हम दोनों नीचे आ गए.
भैया ने टीवी पर ब्लू फिल्म लगा दी और मैं उनके टीवी पर ब्लू फिल्म देखने लगा.

साथ ही मैं इस बारे में सोच कर अपने आप से बात करता रहा.

भैया- बता न … क्या तूने अपनी मम्मी पापा की चुदाई को नहीं देखा?
मैं- नहीं भैया, मैंने कभी नहीं देखा है. मेरा कमरा अलग है. वे दोनों अलग सोते हैं.

भैया- तेरे पापा तो बहुत लकी हैं यार. तेरी मम्मी जैसा माल सबके नसीब में नहीं होता है. क्या मस्त चोदता होगा तेरा पापा, तेरी मम्मी को!
मैं- भैया आप बहुत बदतमीज़ हो, अब मुझे आपसे दोस्ती नहीं रखना.

फिर मैं गुस्सा होकर वहां से चला गया क्योंकि सच में अपनी मम्मी के बारे में ऐसी बात सुन कर मुझे काफी बुरा लगा था.

मैं उनके कमरे से बाहर जा रहा था.

भैया- अरे सुन तो, क्या हो गया बे?

मैंने उनकी कोई बात नहीं सुनी, सीधा घर आ गया.
फिर मैं मम्मी के बारे में सोचने लगा.

मैंने आज तक मम्मी को ऐसी नजर से नहीं देखा था मगर भैया के कहने के बाद मैं सोचने लगा.

मम्मी का बदन वाकई बहुत भरा हुआ है जिसे देखकर किसी का भी लंड खड़ा हो सकता है.

अगले दिन 4 बजे स्कूल से आने के बाद में चुपचाप बैठा था, मुझे अब पता चला कि मुझे फ्री फायर गेम और ब्लू फिल्म देखने की लत लग चुकी है.
लेकिन मैं भैया के पास से गुस्सा होकर आया था इसलिए मैं उनके कमरे पर नहीं गया, चुपचाप अपने कमरे में बैठा रहा.

मैं ऐसे ही भैया के बारे में, मम्मी के बारे में और गेम व ब्लू फिल्म उस सबके बारे में सोचता रहा.

फिर रात का खाना खाकर सो गया.

अगले दिन फिर शाम 4 बजे स्कूल से आने के बाद मैं भैया के बारे में सोचने लगा.
मुझसे रहा नहीं गया.
मुझे ब्लू फिल्म देखने और गेम खेलने की तड़प होने लगी.

मैंने छत के ऊपर जाकर बॉल से खेलने का प्लान बनाया ताकि भैया की नज़र मुझ पर पड़े और वे मुझे बुलाएं.

क्योंकि भैया भी रोज़ इसी टाइम छत पर आकर मुहल्ले की आंटियों को देखते थे.

दो दिन पहले मैं भी तो उनके साथ बैठ कर यही सब देखता था.

मैं छत पर चढ़ा तो भैया वहां पहले से ही बैठे थे.
उन्होंने मुझे देखते ही आवाज़ लगाई- इधर आ सूरज, मुझे एक बात बोलना है.

मुझे तो खुद बस इसी बात का इंतज़ार था, मैं भैया के पास चला गया.

भैया- क्या हुआ था … इतना गुस्सा हो गया था? मैंने तेरी मम्मी के साथ कुछ ग़लत थोड़ी किया था. मैं तो सिर्फ बात कर रहा था. किसी के बारे में बात करने से किसी का कोई नुकसान थोड़ी हो जाता है.
मैं कुछ नहीं बोला.

भैया- क्या अब तुझे गेम खेलने का मन नहीं करता है? पहले तो रोज़ खेलता था?
मैं- जी भैया, मुझे फ्री फायर खेलने का मन कर रहा है.
भैया- ठीक है, नीचे जा और लैपटॉप शुरू करके खेल ले.

मैं नीचे जाकर लैपटॉप शुरू करके गेम खेलने लगा.

फिर थोड़ी देर बाद भैया आ गए.
भैया- सूरज, तेरी मम्मी छत पर आई हैं, ब्लैक साड़ी पहन कर … बहुत हॉट लग रही थीं. तू बुरा ना मान जाए इसलिए मैं नीचे आ गया.

मुझे पता था कि भैया ने मम्मी को छत पर पूरा देखा होगा, फिर जब मम्मी वहां से चली गई होंगी … तब नीचे आए हैं.

कुछ देर बाद भैया ने मुझे बहुत सारे चॉकलेट दिए.
शायद भैया मुझे पटाने के लिए इतने सारे चॉकलेट लाए थे.

मैं चॉकलेट खाते हुए गेम खेलने लगा और भैया टीवी पर ब्लू फिल्म लगा कर देखने लगे.

कुछ देर बाद मैं भी अपना गेम खत्म करके भैया के साथ ब्लू फिल्म देखने लगा.

शायद भैया ने जानबूझ कर सेम मम्मी की साइज़ की औरत की चुदाई वाली वीडियो लगाया था.

इस फिल्म में मेरी मम्मी की उम्र की महिला को एक जवान लड़का चोद रहा था.
लेकिन मुझे क्या … मुझे तो चुदाई देखने में बहुत मज़ा आ रहा था.

अब भैया ने अपना 7 इंच का लंड निकाला और हिलाने लगे.

कुछ देर बाद भैया मेरे पास आए और उन्होंने अचानक से मेरी पैंट को नीचे कर दिया.
टीवी पर चुदाई देख कर मेरा लंड भी टाइट हो गया था.

अब उन्होंने अपने एक हाथ से अपना लंड और दूसरे हाथ से मेरा लंड पकड़ा और वे एक साथ दोनों को हिलाने लगे.

मुझे भैया के हाथ से अपना लंड हिलवाने में बहुत मज़ा आ रहा था.

मुझे ऐसे मजे से दूर नहीं जाना था इसलिए मुझे पता चल गया कि अब भैया से नाराज़ होने से मेरा ही नुकसान होने वाला है.
अब भैया की बात से यदि मुझे बुरा भी लगे तो भी गुस्सा नहीं होना है.

इस कहानी का अगला भाग यंहा से पढ़े – सूरज की मम्मी को पड़ोस के भैया ने चोदा – 2

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